एक बड़े आर्थिक अपराध के आरोप में मेहता और उनके सहयोगियों की जांच की गई है। उन्हें नई भारत सहकारी बैंक की प्रभादेवी और गोरेगांव शाखाओं से 122 करोड़ रुपये का गबन करने का आरोप लगाया गया है। यह घटना न केवल बैंकिंग जगत को हिला रही है, बल्कि यह व्यावसायिक ईमानदारी और नैतिकता के मूल्यों पर भी प्रश्न उठा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाओं से बैंकिंग उद्योग की विश्वसनीयता को चोट पहुंचती है और इसे रोकने के लिए और अधिक सख्त कदम उठाए जाने चाहिए। इस कांड की जांच करने वाले अधिकारी ने बताया कि मामला जटिल है और इसे समझने के लिए समय की आवश्यकता है।