“जेंडर बीट” : एक पत्रकार की दृष्टि से

“जेंडर बीट” : एक पत्रकार की दृष्टि से

जब मैंने 2009 से 2013 तक “जेंडर बीट” पर काम किया, तो अक्सर इसे उपेक्षा की नजर से देखा जाता था। “जेंडर बीट” का मतलब होता है वह खबरें जिनमें महिलाओं, लिंग समानता और लिंग पर आधारित हिंसा के मुद्दों को उभारा जाता है। मेरे पास इस क्षेत्र में काम करने के लिए केवल दो कौशल थे, लेकिन मैंने अपनी सीमाओं को पार करके इसे अपना जीवन का हिस्सा बना लिया था।

“क्राइम बीट” के मामले में मेरा अनुभव बहुत कम था। अपराध की दुनिया में गहनता करने का यह अनुभव मैंने नहीं हासिल किया था, जो अपराध पत्रकारिता के लिए आवश्यक होता है। लेकिन मैंने इसकी कमी को “जेंडर बीट” के माध्यम से पूरा किया। इस क्षेत्र में काम करके मैंने यह समझा की जेंडर मुद्दे भी समाज की व्यापक समस्याओं के अभिन्न हिस्से हैं।

मैंने अपने दो कौशलों का सहारा लिया – अध्ययन और समझौता न करने की इच्छा। मैंने अपने विषयों को गहनता से समझने का प्रयास किया, चाहे वे कितने ही जटिल क्यों न हों। साथ ही, मैंने अपनी कहानियों को बिना किसी संकोच के पेश किया, चाहे वे कितने ही विवादित क्यों न हों।

इस प्रक्रिया में, मैंने वो सब कुछ सीखा जो मैं “क्राइम बीट” से शायद कभी नहीं सीख पाता। मैंने यह समझा कि जेंडर मुद्दे भी बहुत महत्वपूर्ण हैं और उन्हें उपेक्षित नहीं किया जा सकता। यही वजह है कि मैं अभी भी “जेंडर बीट” को अपने पत्रकारिता जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मानता हूं।